नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सायरस मिस्त्री को बड़ा झटका देते हुए रतन टाटा के हक में फैसला सुनाया। कोर्ट ने टाटा-मिस्त्री केस में NCLAT के फैसले को खारिज कर दिया। साथ ही कोर्ट ने कहा कि सायरस मिस्त्री को टाटा संस को चेयरमैन पद से हटाना कानूनी तौर पर सही है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता में जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यम की बेंच ने कहा कि टाटा और शापूरजी पलोनजी ग्रुप दोनों मिलकर शेयरों का मामला निपटाएं।
रतन टाटा का बयान- यह जीत या हार का मामला नहीं
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया और सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद कहा। टाटा ने कहा, यह जीत या हार का मामला नहीं है। यह मेरी ईमानदारी और ग्रुप के नैतिक आचरण पर लगातार हमलों के बाद उन मूल्यों और नैतिकता का सत्यापन है, जो हमेशा ग्रुप के मार्गदर्शक सिद्धांत रहे हैं। उन्होंने कहा, यह हमारी न्यायपालिका द्वारा प्रदर्शित निष्पक्षता और न्याय को दर्शाता है।
यें है पूरा मामला ?
सायरस मिस्त्र दिसंबर 2012 में टाटा संस के अध्यक्ष बने थे। 24 अक्टूबर 2016 को कंपनी के बोर्ड ऑफ डारेक्टर्स ने उन्हें हटा दिया। इसके बाद एन चंद्रशेखरन ने टाटा संस के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला। वहीं, कंपनी के इस फैसले को लेकर दो शापूरजी पल्लोनजी कंपनियों ने मिस्त्री को हटाने और अल्पसंख्यक शेयरधारकों के उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया।
नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने 18 दिसंबर, 2019 ने टाटा संस लिमिटेड के चेयरमैन के रूप में सायरस मिस्त्री की बहाली का आदेश दिया था। इस फैसले के खिलाफ टाटा सन्स ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी 2020 को इस फैसले पर रोक लगा दी थी।
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