असम के मशहूर संगीतकार और बांसुरी वादक प्रभात शर्मा 85 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह गए। पारिवारिक सूत्रों के अनुसार 2 मार्च यानी आज मंगलवार को उन्होंने गुवाहाटी में अंतिम सांस ली। उनकी बेटी ताराली शर्मा ने बताया कि वे सुबह 4:30 बजे उठे थे। फिर उन्होंने अपनी पत्नी से बात भी की थी। इसके बाद वे दोबारा जाकर सो गए थे। सुबह अंटी 6 बजे उठाने आई थीं वो रोने लगीं। वो दुनिया से जा चुके थे। उन्होंने गुवाहाटी के अंबिकागिरी नगर स्थित घर में दम तोड़ा। बता दें कि बेटी ताराली खुद भी एक राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता गायिका हैं।
प्रभात शर्मा के जाने के बाद परिवार में उनकी पत्नी, तीन बेटियां और कुछ बच्चे रह गए हैं। उनके निधन से सभी तरफ शोक का माहौल है। असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि प्रभात जी का जाना राज्य के सांस्कृतिक क्षेत्र के लिए एक अपूरणीय क्षति है। राजनीतिक दलों और कई संगठनों ने भी प्रमुख संगीतकार के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
যশস্বী সংগীতজ্ঞ, বাঁহীবাদক প্ৰভাত শৰ্মাদেৱৰ বিয়োগত মৰ্মাহত হৈছোঁ। অসমৰ সংগীতৰ চহকী যাত্ৰাত তেখেতে যি অনবদ্য অৱদান আগবঢ়াই গৈছে, সেয়া স্মৰণীয় হৈ ৰ'ব।
— Sarbananda Sonowal (@sarbanandsonwal) March 2, 2021
এই শোকৰ মুহূৰ্তত শৰ্মাদেৱৰ পৰিয়ালবৰ্গ আৰু গুণমুগ্ধলৈ গভীৰ সমবেদনা জনালোঁ আৰু তেখেতৰ আত্মাৰ চিৰশান্তি কামনা কৰিলোঁ।
ঔঁ শান্তি pic.twitter.com/QlSPkCkUUa
कई सम्मानों से नवाजे जा चुके संगीतकार को 2003 में असम के लोक और पारंपरिक संगीत में उनके योगदान के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार दिया गया था। उनके पास संगीत वाद्ययंत्रों का एक संग्रह था, जिनमें से कुछ अब आसानी से उपलब्ध भी नहीं हैं।
उन्होंने एक छोटे एक संग्रहालय का निर्माण किया था। बाद में वह जरूरत पड़ने पर इनका उपयोग करते रहते थे। वह एक टीवी निर्देशक के रूप में भी कई फिल्मों से जुड़े थे। इसके अलावा उन्होंने कई टीवी धारावाहिकों और मंच नाटकों की भी रचना कर डाली। असम में शास्त्रीय सत्तारिया नृत्य के शोध में भी वे लगे रहे थे। इसकी रचना श्रीमंत शंकरदेव ने की थी। उनके निधन के बाद गुरु जतिन गोस्वामी, लोक गायक लोकनाथ गोस्वामी और गीतकार प्रशांत बोरदोलोई सहित कई प्रतिष्ठित हस्तियों ने शर्मा के घर का दौरा किया और पुष्पांजलि अर्पित की।
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